बलरामपुर ज़िले के रामचंद्रपुर व कामेश्वर नगर स्थित धान खरीदी केंद्र में हुए लाखों रुपये के धान घोटाले ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया था। इस गंभीर आर्थिक अपराध के उजागर होने के बाद अधिकारी सिलबानूस लकड़ा व कई व्यापारी जांच में दोषी पाए गए थे।
जिसका दांडिक प्रकरण क्रमांक 97 / 2013 में न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए थे। जिसका आपराधिक अपील प्रकरण क्रमांक 50 /2018 के दांडिक प्रकरण क्रमांक 97 / 2013 के फैसला बरकरार रखते हुए सत्र न्यायालय रामानुजगंज द्वारा दिनांक 7 / 4 / 2025 को अपील निरस्त कर दिया गया।
लोगों का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले से कई लोग जेल की हवा खा रहे हैं तो कुछ वरिष्ठ लोग हॉस्पिटल में दवा खा रहे हैं। परंतु रामानुजगंज के न्यायाधीश द्वारा इस प्रकरण में निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई से आम जनता के बीच न्यायालय के प्रति विश्वास और उम्मीद की नई किरण जागी है। कई वर्षों से प्रशासनिक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों में लोगों को न्याय मिलने में देरी होती रही है, जिससे जनता का भरोसा डगमगाने लगा था। लेकिन इस मामले में न्यायालय की सक्रिय भूमिका ने स्पष्ट कर दिया है कि न्यायिक प्रणाली निष्पक्ष रूप से काम कर रही है।
इस प्रकरण की सुनवाई में जो पारदर्शिता और तेज़ी दिखाई दे रही है, वह न केवल बलरामपुर जिले में बल्कि पूरे प्रदेश में एक सकारात्मक संदेश दे रही है कि अब न्याय की उम्मीद केवल एक सपना नहीं, बल्कि एक सच्चाई बनती जा रही है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभियुक्तों द्वारा जो हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई गई है क्या इस लाखों के घोटाले में लिप्त अभियुक्तों को जल्द ही उच्च न्यायालय से जमानत मिल जाएगी? कानूनी जानकारों का कहना है कि घोटाले की गंभीरता और जनता के विश्वास को देखते हुए न्यायालय किसी भी तरह की जल्दबाज़ी से बच सकती है। क्या जमानत याचिकाओं पर विचार करते समय न्यायालय साक्ष्यों की गंभीरता और अभियुक्तों की भूमिका पर खास ध्यान देगी।