
लेकिन, इस खुशी के साथ ही नगर में भाजपा के कइ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में असंतोष और नाराजगी भी देखने को मिली। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों ने पार्टी के लिए कठिन संघर्ष किया और विधानसभा में जीत दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की, उन्हें अब उपेक्षित किया जा रहा है। उनकी शिकायत यह है कि अब पार्टी के भीतर ऐसे लोग अहम पदों पर काबिज हो रहे हैं, जो पहले मंत्री जी के प्रति निष्ठावान नहीं थे और जो भ्रष्टाचार में लिप्त थे। ऐसे लोग अब मंत्री जी के प्रिय बन गए हैं और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है। नगर के एक वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “जो लोग कल तक मंत्री जी के खिलाफ थे और जो लोग भ्रष्टाचार में लिप्त थे, वे आज मंत्री जी के करीबी बन गए हैं। यह हमारे लिए बहुत निराशाजनक है, क्योंकि हम लोगों ने पार्टी के लिए कठिन संघर्ष किया और अब हम लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।”सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो, नगर पालिका का गठन और मंत्री जी का आगमन नगर के विकास के लिहाज से सकारात्मक पहलू हो सकता है, लेकिन कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की नाराजगी और असंतोष को लेकर क्या कदम उठाए जाएंगे, यह सवाल प्रमुख है। भाजपा के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन सकती है, क्योंकि एकजुटता ही पार्टी की सफलता की कुंजी रही है,
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि मंत्री जी अपनी नीतियों और योजनाओं के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने में कितने सफल होते हैं। भाजपा के भीतर इस समय जो असंतोष और नाराजगी का माहौल बना है, वह क्या मंत्री जी की नेतृत्व क्षमता के लिए एक चुनौती बनेगा, या वे इस स्थिति को सुलझाकर पार्टी को एकजुट कर पाएंगे, यह सवाल अभी भी अनसुलझा है।