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क्या भाजपा के जमीन पर चुनावी फसल काटना चाहते है कांग्रेसी ?

क्या भाजपा के जमीन पर चुनावी फसल काटना चाहते है कांग्रेसी ?

रामानुजगंज नगर परिषद चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो चुका है। यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों पर नगर वासी तीखे आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी पर परिवारवाद और व्यापारी होने जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी पर भ्रष्टाचार और तानाशाही जैसे गंभीर आरोप हैं। इस राजनीतिक संघर्ष में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता और नेता अपनी-अपनी प्रत्याशियों का पक्ष लेने में जुटे हुए हैं, और यह मामला हर दिन नए मोड़ पर पहुंचता जा रहा है।
भाजपा समर्थकों का कहना है कि उनके कार्यकर्ता हमेशा जनता के बीच रहते हैं और हर समाज की जरूरतों को समझते हुए काम करते हैं। और कांग्रेसी सिर्फ चुनावी फसल काटना चाहते हैं। भाजपा का दावा है कि उनकी पार्टी को जनता का विश्वास प्राप्त है, क्योंकि पार्टी के जनप्रतिनिधि जनता से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए हमेशा सक्रिय रहते हैं। भाजपा समर्थकों के मुताबिक, उनके नेताओं की यह कड़ी मेहनत और जमीन पर काम करने की शैली ही उन्हें चुनावी जीत दिलवाती है।
इसके विपरीत, कांग्रेस पार्टी के खिलाफ आरोप यह हैं कि उनके जनप्रतिनिधि चुनाव के समय ही जनता के बीच आते हैं और बाकी समय में उनका कहीं कोई पता नहीं चलता। कांग्रेस के नेताओं पर यह भी आरोप है कि वे पार्टी में अपने परिवार के लोगों को ही प्रमुख पदों पर बैठाते हैं और बाक़ी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हैं। इस कारण पार्टी के भीतर ही असंतोष की स्थिति बनती है और उनके जनप्रतिनिधियों की सक्रियता भी सवालों के घेरे में रहती है।
कांग्रेस पार्टी के संदर्भ में यह भी कहा जा रहा है कि जब चुनाव का समय आता है, तब ही पार्टी के नेता जनता को याद करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उनकी सक्रियता में कमी आ जाती है। साथ ही यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि कांग्रेस में पार्टी के कई उम्मीदवारों को इस आधार पर चुना जाता है कि वे पार्टी के करीबी और परिवार से संबंधित होते हैं, न कि उनकी कार्यक्षमता के आधार पर।
इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच चुनावी मुकाबला और भी दिलचस्प बनता जा रहा है, और यह तय करना मुश्किल है कि इस बार रामानुजगंज नगर निकाय चुनाव में जीत किसकी होगी।

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