Tue. Apr 29th, 2025

मोहम्मद बख्श की गिरफ्तारी: राजनीतिक दबाव या न्यायिक प्रक्रिया।

रामचंद्रपुर के नव निर्वाचित जनपद सदस्य मोहम्मद बख्श की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी भाजपा समर्थकों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत और पंचायत चुनाव में धांधली के आरोपों के बाद हुई। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या यह कार्रवाई कानून के दायरे में की गई, या फिर राजनीतिक दबाव का नतीजा है?
मोहम्मद बख्श पर आरोप है कि उन्होंने मंत्री राम विचार नेताम के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। इस मामले में भाजपा समर्थकों ने थाना रामानुजगंज में उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई और उनकी गिरफ्तारी की मांग की। इसके अलावा, 23 मार्च को हुए पंचायत चुनाव में उनके खिलाफ धांधली के आरोप लगाते हुए। पीठासीन अधिकारी द्वारा भी कई दिनों के बाद उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई, सवाल यह उठता है कि पीठासीन महोदय को इतने दिनों बाद याद क्यों आई जिससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है।
मोहम्मद बख्श की गिरफ्तारी केवल शिकायतों के आधार पर हुई या फिर इसके पीछे कोई और वजह है, यह स्पष्ट नहीं है। राजनीतिक विरोधियों द्वारा उन पर लगाए गए आरोप और फिर प्रशासन की तेजी से की गई कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह मामला केवल कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है, या फिर इसमें राजनीतिक प्रभाव भी शामिल है?

वहीं गिरफ्तारी के बाद पुलिस द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। हथकड़ी लगाकर उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल तक पैदल ले जाना क्या मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है? क्या यह एक जनप्रतिनिधि के साथ न्यायोचित व्यवहार था, या फिर उनके प्रति बदले की भावना से किया गया कृत्य?

मोहम्मद बख्श की गिरफ्तारी पर राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक कार्रवाई के बीच संतुलन की जरूरत है। अगर उनके खिलाफ आरोप सही हैं, तो कानून को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए, लेकिन अगर यह राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक संकेत है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और न्यायिक प्रक्रिया पर जनता का भरोसा बना रहे।

 

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